माफ़ी और दोस्त
मेरे हर गुनाह को वह देता है माफ़ी
नहीं होने देता कभी नाइंसाफी
आंसू ना बहने पाए मेरी आँखों से
इसके लिए उसकी ही आँखे हैं काफ़ी
ओढ़ के चादर वह मेरे गुनाहों की
सजा वह मेरे हिस्से की भुगतता है
चुन चुन के कंकर वह मेरी राहों के
सुगमता की कलियाँ हर पल बिछाता है
वह कोई नहीं बस है दोस्त मेरा
दमकते सूर्य से जैसे रौशन सवेरा
वह तन्हा सफ़र में हमसाया मेरा
अनाथो की बस्ती में जैसे बसेरा