निगाह -ए-इंतज़ार
निगाहें तकती है उस रह गुज़र मुड़-मुड़ के हर पल
सोचते है लगे सब खास पहरे आम हो जाए
पिला दो जी भर के ऐ साकी मुझे अपने हाथो से
हर एक कतरा मय का तेरी रूह के नाम हो जाये
जिए है हम तस्सुवर में तेरे, ए दोस्त सारी उम्र
चले आओ इस से पहले कि जिंदगी की शाम हो जाये
करो वादा जो आओगे अब ,तो न छोड़ कर जाओगे
कही इंतज़ार में यूं ही न सारी उम्र तमाम हो जाए
निगाहें तकती है उस रह गुज़र मुड़-मुड़ के हर पल
सोचते है लगे सब खास पहरे आम हो जाए
पिला दो जी भर के ऐ साकी मुझे अपने हाथो से
हर एक कतरा मय का तेरी रूह के नाम हो जाये
जिए है हम तस्सुवर में तेरे, ए दोस्त सारी उम्र
चले आओ इस से पहले कि जिंदगी की शाम हो जाये
करो वादा जो आओगे अब ,तो न छोड़ कर जाओगे
कही इंतज़ार में यूं ही न सारी उम्र तमाम हो जाए