नन्ही किलकारी
जिस दिन था वह गर्भ समाया
सब कुछ बदला मैंने पाया
हर पल तकता आँखे मींचें
सब कुछ बोले ओंठों को भींचे
मेरी पीड़ा महसूस करे
धमनियों से रक्त हरे
अस्थि मज्जा मेरी पा कर
दिन प्रति दिन परिपूर्ण बढे
मॉस नौ या दिन सत्तर दो सौ
ख़तम अवधि क्षण में ज्यों
व्यकुल हुआ जब हुआ पूर्ण तो
तड़प उठे जग में आने को
प्रसव वेदना झेल अथाह
बही वत्सलता तीव्र प्रवाह
अंक सजी सुंदर फुलकारी
गूँज उठी नन्ही किलकारी
जिस दिन था वह गर्भ समाया
सब कुछ बदला मैंने पाया
हर पल तकता आँखे मींचें
सब कुछ बोले ओंठों को भींचे
मेरी पीड़ा महसूस करे
धमनियों से रक्त हरे
अस्थि मज्जा मेरी पा कर
दिन प्रति दिन परिपूर्ण बढे
मॉस नौ या दिन सत्तर दो सौ
ख़तम अवधि क्षण में ज्यों
व्यकुल हुआ जब हुआ पूर्ण तो
तड़प उठे जग में आने को
प्रसव वेदना झेल अथाह
बही वत्सलता तीव्र प्रवाह
अंक सजी सुंदर फुलकारी
गूँज उठी नन्ही किलकारी