देवदूत
छाए थे संकट के बादल
हताश निराशा अवसाद के बादल
बरसाते थे आग धरा पर
द्ह्काते थे ज्वाल धरा पर
जन जीवन संतप्त हुआ था
विहल कंठ अवरुद्ध हुआ था
मूक आगमन हुआ तुम्हारा
विष जीवन किया शोषित सारा
कलश हर्ष सुधा का छलके
तुम आये इक देवदूत बनके
छाए थे संकट के बादल
हताश निराशा अवसाद के बादल
बरसाते थे आग धरा पर
द्ह्काते थे ज्वाल धरा पर
जन जीवन संतप्त हुआ था
विहल कंठ अवरुद्ध हुआ था
मूक आगमन हुआ तुम्हारा
विष जीवन किया शोषित सारा
कलश हर्ष सुधा का छलके
तुम आये इक देवदूत बनके