शनिवार, 16 अप्रैल 2011

Bachpan

बचपन
नटखट होता है यह बचपन
उन्मुक्त मचलता है यह बचपन
सौ सौ अंकुश का बंधन है
फिर भी है ना चिंतित बचपन
हर आदेश का पालन करता
अवहेलना यह कभी ना करता
सदाचार का जीवन जीता
सच्चा भोला प्यारा बचपन
हर पल जीता नव उमंग से
कितना सयाना है यह बचपन
करने को अपनी  शांत उत्सुकता
हर अध्भुत रचना छूता बचपन
रूठे तो झट मन जाता  बचपन
रोये तो झट हँसता बचपन
हर भ्रम जाल से कोसो दूर
निश्चल मन महकाता बचपन
बात समझ लो तुम भी ए मन
बचपन होता है हर पल में
रहो जीवन के किसी मोड़ पर
न खोना बचपन को किसी क्षण