पुकार
उमड़ पडा फिर सैलाब दर्द का
सालों तक जिसको था समेटे रखा
उघड गया फिर हर इक जख्म
सालो तक जिसे था ढके रखा
मशवरा दोस्त का भी ना सहला सका
आज कुछ भी इस दिल को मना ना सका
बहने दो इन आँखों से अब और आंसू बहने दो
बस कहो मत कुछ मुझे यूं ही रहने दो
तन्हाईओं को लगा लेंगे फिर हम गले अपने
गुमनामी में ही जी लेंगे बिसरा देंगे वो सब सपने
नहीं है अब हिम्मत की इस गम से अब लड़ जाऊं मैं
नहीं है अब चाहत की तुम बिन इस जग को आजमाऊँ मैं
आजाओ बार इक,बस इक बार आजाओ तुम
अकेला जी चुका बहुत बस माँ अब अपने आँचल में छुपाओ तुम
उमड़ पडा फिर सैलाब दर्द का
सालों तक जिसको था समेटे रखा
उघड गया फिर हर इक जख्म
सालो तक जिसे था ढके रखा
मशवरा दोस्त का भी ना सहला सका
आज कुछ भी इस दिल को मना ना सका
बहने दो इन आँखों से अब और आंसू बहने दो
बस कहो मत कुछ मुझे यूं ही रहने दो
तन्हाईओं को लगा लेंगे फिर हम गले अपने
गुमनामी में ही जी लेंगे बिसरा देंगे वो सब सपने
नहीं है अब हिम्मत की इस गम से अब लड़ जाऊं मैं
नहीं है अब चाहत की तुम बिन इस जग को आजमाऊँ मैं
आजाओ बार इक,बस इक बार आजाओ तुम
अकेला जी चुका बहुत बस माँ अब अपने आँचल में छुपाओ तुम