कुछ खो गया हमारा
गुजर गयी रात करके तारा -तारा
रिसते रहे जख्म दर्द ना हुआ गवारा
आजमाईश में ही सारा बीत गया वक़्त
बहते रहे अश्क ,वह ना हुआ हमारा
जान कर भी वोह ना जान सका हम को
जान बने ना अपना मेहमान बनाया हम को
जानने की हसरत में बीत गया वक़्त
ना हमनफस ना हम सुखन वह हुआ हमारा
दस्तके लौट जाती है अब देहरी पर आते ही
बहारें मुह चुराती हैं अब गुलशन के खिलते ही
हार गये फिर हम यह दिल की बाजी भी
मिला सब कुछ जहां में ,पर कुछ खो गया हमारा
गुजर गयी रात करके तारा -तारा
रिसते रहे जख्म दर्द ना हुआ गवारा
आजमाईश में ही सारा बीत गया वक़्त
बहते रहे अश्क ,वह ना हुआ हमारा
जान कर भी वोह ना जान सका हम को
जान बने ना अपना मेहमान बनाया हम को
जानने की हसरत में बीत गया वक़्त
ना हमनफस ना हम सुखन वह हुआ हमारा
दस्तके लौट जाती है अब देहरी पर आते ही
बहारें मुह चुराती हैं अब गुलशन के खिलते ही
हार गये फिर हम यह दिल की बाजी भी
मिला सब कुछ जहां में ,पर कुछ खो गया हमारा