शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

Hindi diwas per

हिंदी दिवस

अपने ही घर में आज अगर मेरे बच्चे मेरी माँ (यानि अपनी नानी) से अनजान है तो दोषी में खुद हूँ
आज हमें क्यों आवश्यकता आन पड़ी है अपने ही देश में अपनी ही मात्र भाषा की दिवस मनाने की
क्यों हमें आवश्यकता आन पड़ी है अपने आप को यह याद दिलाने की कि हिंदी हमारी अपनी है
हम हिंदी भाषी है
किसी भी पशु पक्षी को कोई भी नहीं सिखाता कि कैसे बोलो
चिड़िया चह-चहाती है
तोता टें- टें करता है
सब अपनी बोली बोलते है
फिर हम हिन्दुस्तानी क्यों नहीं ?