कोई अनजाना सा
झांक कर चिलमन से मुझे यूं , चुपचाप चला जाता है कोई
दूर से कर के इशारा मुझे यूं , पास अपने बुलाता है कोई
ता उम्र जख्म जो मिले है जमाने से,
चुपचाप उनको सहला जाता है कोई
दहकती है एक आग हर वक्त जो सीने में,
अपनी साँसों की गर्म हवाओं से बुझाता है कोई
खौफ -ए- रुसवाई की चादर में लिपटा सा वो है
खुल कर सामने आने से कतराता है कोई