Srijan
बुधवार, 8 सितंबर 2010
Jeevan ki chatri
जीवन की छतरी
जैसे तेज़ बारिश में
छतरी साथ नहीं देती है
बौछार यहाँ वहां तहां से
बदन को भिगो जाती है
वैसे ही
विपरीत काल में
आशा की चादर साथ नहीं देती है
निराशा यहाँ वहां तहां से
जीवन को छू जाती है
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