गुरुवार, 28 जुलाई 2011

bas pyaar karo

बस पयार करो !

एक दिल ही तो है जो हर पल रोज़ तडपता  है
रूक भी जाए अगर जीवन ,तो भी यह धडकता   है
अरमान की बात क्या करते हो , यह तो रोज़ उपजते है
टूटे दिल की दीवारों से , रिस रिस रोज़ पिघलते हैं
मनन करो या अब चिंतन ,क्या फर्क भला अब पड़ता है
बुनियादे दिल की जो बनी हुई उसमे जब भाव फिसलता है
आने वाले हर पल को जिए ,उठो बढ़ो गलहार करो
अब छोड़ो ग्लानी शंका सब ,दिल है, अरमा है बस  प्यार करो