शनिवार, 2 जुलाई 2011

sang beeta pal


संग बीता पल 
बार बार छू कर देखता है हाथ 
उस हाथ को 
और करता है महसूस  
उस छूअन को 
जो है जीवंत  आज  भी 
बार बार याद करता है मन  
केवल उस लम्हे को 
और करता है महसूस 
उस मिलन को 
जो है  प्रयत्क्ष आज भी 
वक़्त  गुजरता जाता है 
हर चक्र फिसलता जाता है   
पुकारता है ,निहारता है 
दे कर दस्तक तलाशता है 
अनुभव किसी एक पल का
शंका से उभारता है 
जीवन के सबसे कमजोर क्षण 
बड़ी द्र्द्ता से संवारता है