शनिवार, 30 जुलाई 2011

yaadon ke sholey

याद के शोले
भूलने लगा था दर्द जो
फिर अब  टीसने लगा है
भरने लगा था जख्म जो
फिर अब हरने लगा है
ना था कोई शिकवा गिला तुम से
तम्मन्नाये  हज़ारों थी
ना की थी तुमसे ताकीदें 
उम्मीदें हज़ारों थी
खामोश मोहब्बत का गम
उभ्र्रने सा लगा है
लब से तेरा नाम अब
निकलने सा लगा है
डरता हूँ कि ना हो जाए
अब कोई गुस्ताखी
खिदमत में  मोहब्बत की
दुनिया ही लुटा दी
गुमनाम ही रह जाने दो
मेरा यह  फ़साना 
अनजान ही रहने दो 
यह किस्सा पुराना
चलो याद नहीं करते
कोई भूली कहानी
रात की  आँखों से
बह जाए गा पानी
गूंजेगे फिर वो  नगमे
वो सरगम वो   तराने
बज जायेंगे जब साज  
 ले तरन्नुम सुहाने
खामोश है , खामोशी
खामोश ही रहने दो
यादों के इन शोलो को
अब और हवा ना दो