दस्तकें
दबे पाँव आती हैं
ठिठक जाती हैं
साहस जुटातीं हैं
हम को बुलाती हैं
हम महसूस करते हैं
जान जाते हैं
हर दस्तक के
आ जाने का सबब
फिर भी हर दस्तक से
नज़रे चुरातें हैं
नज़र अंदाज़ करते हैं
मुहं फेर लेते हैं
देते है दिलासा यही मनको
दस्तकें और भी हैं