शनिवार, 21 अप्रैल 2012

खुद से मिल तो लेती मैं

खुद से मिल तो लेती मैं 
 
मिल ही लेती खुद से  मैं
बाद तेरे जाने के
फुसफुसा कर कान में
चुपके से कहती यह हवा
मिल ही  लेती खुद से मैं
तेरा आना ,चले जाना 
चुपके चुपके यूं  मिलना
मिल कर फिर बिछड़ जाना
आहट बन कर आ जाना
और बे आहट चले जाना
धड़कन में बसे रहना 
जीवन से चले जाना 
सागर में उठती लहरे  
भीगे तट को छू कर जब 
रीते मन से जाती हैं 
धारो से पुनह मिलने 
मन ही मन में कहती हूँ 
 खुद से मिल तो लेती मैं