रविवार, 22 अप्रैल 2012

जानती हूँ

जानती हूँ 
हो यहीं
कही आस पास
ना देते दिखाई
ना देते सुनायी
महसूसा  है तुम्हे
हर श्वास में
हर आस में
हर घटना में
हर एहसास में
जानती हूँ
हो यही
कुछ आस पास
रूह में ,ख़याल में
मेरे हर सवाल में
जवाब में प्रत्यक्ष हो
मुश्किल में दक्ष हो
जानती हूँ
हो यही
कुछ आस पास