khwaahishen
अच्छा लगता है तुम से मिल कर बिछड़ जाना
संग बिताए लम्हों की यादें संजो कर लाना
रफ्ता रफ्ता तन्हाई में गुज़रती है वक्त की घड़ियाँ
तब वक्त की तस्वीरों के शीशे में सब सजाते जाना
तन्हाईओं में करते रहना इकरार-ए- इश्क
जब हो मिलना तो फिर यूं सब से मुकर जाना
फांसले दरम्यान मेरे तुम्हारे जो बने बैठे है
हो जाएँ ख़त्म ,यह ख्वहाहिशें सजाते जाना जाना