रविवार, 20 मार्च 2011

geet milan ka

गीत मिलन का
 
अपनों से  मिलता  रहे इस  तरह प्यार 
जीवन का हर दिन हो जाए इक त्यौहार 
भर जाता है  रीता पन अपनों की प्रीत से
खिल जाता है हर रंग  मिलन के गीत से 
अनजाना भी साथ चले बन कर अपना जब
कंटक मय जीवन भी बन जाता सपना तब
बहारे आ देहरी पर नत मस्तक हो जाती हैं
प्रकृति भी आ कर तब वन्दनवार सजाती है
 ऊर्जा और ,स्फूर्ति   मानव की करती हैं चाकरी
नव कल्पना बन कर पटरानी  करती है ठाकरी
अपने और उन अपनों का प्यार भरा यह साथ
जगाता  है जीवन में हंस कर  जीने का एहसास