गीत मिलन का
अपनों से मिलता रहे इस तरह प्यार
जीवन का हर दिन हो जाए इक त्यौहार
भर जाता है रीता पन अपनों की प्रीत से
खिल जाता है हर रंग मिलन के गीत से
अनजाना भी साथ चले बन कर अपना जब
कंटक मय जीवन भी बन जाता सपना तब
बहारे आ देहरी पर नत मस्तक हो जाती हैं
प्रकृति भी आ कर तब वन्दनवार सजाती है
ऊर्जा और ,स्फूर्ति मानव की करती हैं चाकरी
नव कल्पना बन कर पटरानी करती है ठाकरी
अपने और उन अपनों का प्यार भरा यह साथ
जगाता है जीवन में हंस कर जीने का एहसास
कंटक मय जीवन भी बन जाता सपना तब
बहारे आ देहरी पर नत मस्तक हो जाती हैं
प्रकृति भी आ कर तब वन्दनवार सजाती है
ऊर्जा और ,स्फूर्ति मानव की करती हैं चाकरी
नव कल्पना बन कर पटरानी करती है ठाकरी
अपने और उन अपनों का प्यार भरा यह साथ
जगाता है जीवन में हंस कर जीने का एहसास