भूल जाने की याद
याद करने पर बढ़ जाती है बैचैनी दिल की और भी कुछ इस कदर
कि भूल कर भी भूलना फिर कुछ भूल जाती हूँ
रह रह कर उठता है यादों का बवंडर यूं
कि यादों की याद को फिर याद करके याद रखती हूँ
बनते है ,बन कर मिट जाते है कुछ अक्स यूं दिल पर
कि पल भर को अपना अक्स भी भूल जाती हूँ