गुरुवार, 24 मार्च 2011

Bhool jane ki yad

भूल जाने की याद 
याद करने पर बढ़ जाती  है बैचैनी दिल की  और भी कुछ इस कदर 
कि भूल कर भी  भूलना फिर कुछ भूल जाती हूँ 
रह रह कर उठता है  यादों का बवंडर यूं 
कि यादों की याद को फिर याद करके याद रखती हूँ
बनते है ,बन कर मिट जाते है कुछ अक्स यूं दिल पर 
कि पल भर को अपना अक्स भी  भूल जाती हूँ