फांसले और मिलन का एहसास
क्या दिल जाने क्या है अपना
जब तक रहा वो दूर हम से
करता था उसको पाने की तमन्ना
और आज जब वो है पास दिल के
तो ढूँढता है फांसले
चाह कर भी चाह न सका
पा कर भी पा न सका
मिट गये सब फांसले जब
तो पास आ कर भी समा न सका
सच है दूरी हमेशा तड्पाती है
मिलन इस एहसास को ठंडा कर जाती है
सदियों रहें यह फांसले जुग जुग जिए यह फांसले
यह फांसले ही है जो कराते है
हर मिलन का एहसास