गुरुवार, 3 मार्च 2011

faansle aur milan ka ehsaas

  फांसले और मिलन का एहसास

क्या दिल जाने क्या है अपना 
जब तक रहा वो दूर  हम से
करता था उसको पाने की तमन्ना 
और आज जब वो है पास दिल के 
तो ढूँढता है फांसले 
चाह कर भी चाह न सका 
पा कर भी पा न सका 
मिट गये सब फांसले जब 
तो पास आ कर भी समा न  सका 
सच है दूरी हमेशा तड्पाती है 
  मिलन इस  एहसास को ठंडा कर जाती है  
सदियों रहें यह  फांसले  जुग जुग जिए यह फांसले 
यह फांसले ही है जो   कराते है 
हर मिलन का एहसास