बुधवार, 30 मार्च 2011

Tasveer Tumhari

तस्वीर तुम्हारी

तस्वीर तुम्हारी  देखते हैं  यूं बदल बदल के रुख
  आफ़ताब से चमकते हो तो  कभी दिखते हो महरूख
इंद्र धनुषी रंगों में रंग कर  जैसे सजा हुआ  शबाब 
 विविध रसों से परिपूरन ,जैसे खिलता हुआ गुलाब
देते हो जब मौन दृगो से हम को मूक निमंत्रण
आतुर हो जाता हर जर्रा करने को मधुरिम मिलन
हो जाती है नम सारी  फिजा यादों की फुहारों से 
पिघलते हैं कई जज्बात इस दिल की दीवारों से