शुक्रवार, 11 मार्च 2011

Thaakur ka Rang

ठाकुर का रंग

हरा लाल न नीला पीला
रंग है मेरा स्नेह सिक्त
  सराबोर हो जो इस रंग में
दुखो से हो जीवन रिक्त
 कहते जब  चुपके कानो में
गुंजित होती है झंकार
सूने मन के आँगन में
छा जाती इक मधु बयार
भावों की गीली माटी पर
आशा  के गिरते बीज नए
अंकुरित होता है नवचेतन
पुष्पित हो जाते  स्वप्पन नए
धूमिल,धूसरित अचेतन भी तब
सजाने  लगता वंदन वार
कुम्लाया मुरझाया जीवन
जीने को हो पुनह ; तैयार
विश्व विदित इतिहास लिखा है
जीते हारा विश्व जंग
कण कण में चढ़ता साहस भरता
ऐसा मेरे ठाकुर का रंग