मेरा परिचय
क्या कहते हो
एक फक्कड़ फकीर हूँ मैं
यां विधाता की लिखी
एक अजब तक़दीर हूँ मैं
देख पायो तो देखो
मेरी आँखों की चमक
हो जाये गी धुंधली
तेरे पैसे की खनक
लबो पे छिपी
मुस्कराहट को देख
मिट जाये गी
माथे पर खिंची चिंत रेख
भीड़ में रह कर भी
तुम फिरते हो अकेले
और मैं !रह कर भी अकेला
जमा कर लेता हूँ एक मेला
संतोष की चादर में लिपटा
एक ऐसा बाशिंदा हूँ
सब कुछ खो कर भी
हूँ खजानो से भरा