सोमवार, 7 मार्च 2011

mera parichay

मेरा परिचय 

क्या कहते हो 
एक फक्कड़ फकीर हूँ मैं 
यां  विधाता की लिखी 
एक अजब तक़दीर हूँ मैं 
देख पायो तो देखो 
मेरी आँखों की चमक 
हो जाये गी धुंधली 
तेरे पैसे की खनक 
लबो पे छिपी 
मुस्कराहट को देख
मिट जाये गी 
माथे पर खिंची चिंत रेख 
भीड़ में रह कर भी 
 तुम फिरते हो अकेले 
और मैं  !रह कर भी अकेला
जमा कर लेता हूँ  एक मेला 
संतोष की चादर में लिपटा
एक ऐसा बाशिंदा हूँ 
सब कुछ खो कर भी 
हूँ खजानो से भरा