पहला सुख निरोगी काया
इंसान का पहला कर्तव्य उसका अपने प्रति जागरूक होना है. अपने आप को समझना और परखना है . निरोगी जीवन जीना उसका अधिकार और उसका परम कर्तव्य है . अपनी काया को निरोग रखने के लिए उसे हर संभव प्रयत्न करना चाहिए . शरीर ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सब कार्य संपन्न किये जाते हैं . अत: इस शरीर का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है . जप ताप नियम, सयम,योग ध्यान आदि द्वारा निरोगी काया को बड़े हे सहज ढंग से प्राप्त किया जा सकता है . बस उसे अनुशासित हो कर पालन करना है.
सत्य ही कहा है कि " पहला सुख निरोगी काया " जिसने भी इस तथ्य को समझ कर इस पर काम किया और निरोगी काया के स्वामित्त्व को प्राप्त किया वही काल जई बन कर जीवन के हर क्षेत्र में विजयी हुआ .