लहर का कहर (सुनामी)
प्रकम्पित हुआ सागर तल
लीलने सारा जगती तल
तोड़ बाँध निकली लहर
प्रकृति का बरपा कहर
खामोश हुई साँसे सभी
सहम गया सारा शहर
मौत का उठा बवंडर
महा नाश हुआ भयंकर
जल मगन हुई धरा
सिसक सिसक उठी जरा
बेचैन हुई मौत भी
ढूंढे पनाह यहीं कही
विश्व का क्रंदन करुण
अब ढूँढता नया अरुण
आओ मिलो बढ़ो सभी
प्राची पट खोले अभी
मौत को जीवन दिखाएँ
कहर को फिर आजमायें