गुरुवार, 17 नवंबर 2011

फिर आयी पवन ले तेरी छूअन

फिर आयी  पवन ले तेरी छूअन

भू मंडल पर फैला रहा मधु मॉस
हई प्राकृत व्याकुल लिए मन में आस
देख  चकवा - चकवी का अनुपम जोड़ा
धरा ने भी मिलने का गुंजन छोड़ा
आह्लादित हुआ नभ पा अवनि मिलन
फिर आयी  पवन ले तेरी छूअन !!!
ललित हुई बेलें लपक कर फिसलती 
तरुवर की  डाली से बढ़ कर लिपटती
उड़े मेघ नभ पर आह्लादित आनंदित
तुहिन  श्रृंखला जब चुम्बन है करती
हर्षित वसुंधरा निरख अद्भुत मिलन
फिर आयी पवन ले तेरी छूअन !!!!
अमावस की काली भी  पूनम सी ज्योतित
कमल नयनी बिन आभूषण सुशोभित
पौरुष  हुआ फिर जीवित और गर्वित
बजी तान संयोगो की ,हर जर्रा  हर्षित
खिल उठा मंजुल मन खिलता सुमन
फिर आयी पवन ले तेरी छूअन !!!!