तालमेल
क्या कहते हो, क्या मैं कह दू
क्या सुनते हो ,जो भी कह दूं
क्या समझे हो ,वह जो कह दूं
क्या करते हो ,जो ना कह दूं
कान बड़े हैं सब लोगो के
लेकिन दिल का माप है छोटा
सुन ले बड़ी बड़ी सब बातें
गहरे दिल में लगे ना गोता
अपना दिल और अपना रोना
काल्पनिक सा सजा बिछोना
सजा सेज पर तो बस अपना
इनकार किया तो लगा खिलौना
नहीं किया था नहीं करूंगा
शुक रट जैसे रटता रहता
इसमें भी तो केवल अपनी
मन की ही तो बात समझता
दोस्त ! तुमसे गहरा नाता है
चुप्पी को समझ जाता है
भाव ,भावना और असलियत में
जो तालमेल बैठा पाता है
क्या कहते हो, क्या मैं कह दू
क्या सुनते हो ,जो भी कह दूं
क्या समझे हो ,वह जो कह दूं
क्या करते हो ,जो ना कह दूं
कान बड़े हैं सब लोगो के
लेकिन दिल का माप है छोटा
सुन ले बड़ी बड़ी सब बातें
गहरे दिल में लगे ना गोता
अपना दिल और अपना रोना
काल्पनिक सा सजा बिछोना
सजा सेज पर तो बस अपना
इनकार किया तो लगा खिलौना
नहीं किया था नहीं करूंगा
शुक रट जैसे रटता रहता
इसमें भी तो केवल अपनी
मन की ही तो बात समझता
दोस्त ! तुमसे गहरा नाता है
चुप्पी को समझ जाता है
भाव ,भावना और असलियत में
जो तालमेल बैठा पाता है