मंगलवार, 8 नवंबर 2011

भावना


भावना

अविरल यूं मेरी आँखों से बहते रहे  आंसू
आने वाले  हर लम्हे  को भिगोते रहे आंसू
चाह कर भी ना भीग सका बस एक ऐसा  मन था
आते जाते हर राही को रुलाते रहे आंसू
सुप्त वेदना हो पुनह जागृत, उत्कृष्ट हुई जाती थी
वैरागी पीड़ा से बोझिल विकल हुई  जाती थी
नयनो के कोरो से कतरा रिसते रहे आंसू
अवरुद्ध कंठ और रुंधे स्वर से कुछ कहते रहे आंसू
क्षीण हुआ नयनो का काजल आंसू की बूंदों से
भीग गया मदमाता आँचल आंसू की बूंदों से
भावुक मन में है उफान आंसू की बूंदों से
मन सागर में है तूफ़ान आंसू की बूंदों से
गीतों की बंजर धरती को उर्व्राते  रहे आंसू
बुझी श्वास में प्राण गीत सुनाते रहे आंसू
चाह कर भी जी ना सका बस एक ऐसा मन था
हर एक टूटे मन को आस बंधाते रहे आंसू