गुरुवार, 29 सितंबर 2011

जीवन !!!

जीवन !!!
तमस घना चहुँ और है छाया
विपदा का आँचल लहराया
आशा का अब कहीं छोर ना !!

अंतस का मुख है कुह्म्लाया
पीड़ा  का कुहास है आया
कतरा कतरा बहे वेदना !!

जीवन भी है अजब सी  माया
छलने को फिर छलिया आया
पांखुर जैसे झरे चेतना !!

अंधियारे पथ को उजलाया
कर्मठता का पथ सुलझाया
जीवन जैसे व्यर्थ रहे ना !!

विश्वासों को दीप जलाया
मन मंदिर में तुझे बिठाया
 तिमिर रहे चहुँ और ना !!