गुरुवार, 1 सितंबर 2011

jaroori to nahi

ज़रूरी तो नहीं

प्यार के बदले में प्यार मिले
यह ज़रूरी तो नहीं
हर रूह में भगवान मिले
यह ज़रूरी तो नहीं
नियति में परिवर्तन
महज़ इत्तफाक है
हर इत्तफाक में वही
नियति मिले
यह ज़रूरी तो नहीं
चल दिया कोई साथ
बस दो कदम
यह उसका एहसान है
रख सको गर
संजो कर इसे तो
यह तमाम उम्र की
मुस्कान है
बीते पल गुज़री घड़ियाँ
पुनह दोहरा पायें
यह ज़रूरी तो नहीं
घड़ियाँ पुनह लौट आयें
यह ज़रूरी तो नहीं
ढलती धूप में भी
सुमन खिलते देखे हैं "नीरज '
खिलती धूप में सब खिल जाए
यह ज़रूरी तो नहीं