नाम तेरा
चिराग गुल होते ही ख्याल जगमगा उठे
राहों में उजाला तेरे नाम का फैला रहा
चिलचिलाती धूप थी और खोजती थी शज़र
सिर पे साया तेरे नाम का फैला रहा
पत्थरों का शहर था और ना था कोई हम नफस
साथ बस मेरे तेरा नाम यूं चलता रहा
कट ही जाएगा कभी वीरानीयों का यह सफ़र
गर नाम तेरा साथ मेरे हमसफ़र बन कर रहा