बुधवार, 21 सितंबर 2011

मैं साथ हूँ तेरे

मैं साथ हूँ  तेरे
कहा तुम ने " मैं साथ हूँ तेरे "
मैं हर इक जर्रे  में
तेरा अक्स ढूँढती रही
लम्हा दर लम्हा रिसता
रहा दिल से लहू 
मैं दिल के गलियारे में
नयनों के पनघट से
 अश्रु घट भरती रही
पग पग पर रहा देता
काल मुझको चुनौती
शबनम की बूंदों से
संताप मन का  धोती रही
सुनती थी तू रहता है
हर एक अँधेरे में
बन जुगनू मैं राहो को
रौशन बस  करती रही
कही टूट ना जायूं मैं
इस बात का था डर मुझको
अंदर ही अन्दर कही
तेरे नाम से जुडती रही
आएगा तू खुशबू की तरह
इन तेज़ हवायों में
यह सोच कर  हर गंध को
 मैं साँसों मैं भरती रही 
है अब भी मुझे खोज
उस अक्स की तेरे
जो बूँद की तरह गिर सीपी पर
मोती सी बनती रही