क्या तुमने मेरे स्वप्प्न पढ़े हैं ?
मेरी बातों का भोला पन
भले साहस का प्रमाण नहीं है
मेरी शक्ति और क्रिया कलाप की
शायद तुम को पहचान नहीं है
रक्त दौड़ता है जो धमनी में
उसमें उबलता तेज़ स्राव है
मन में मृत हुये जो सपने
उन में अभी बची श्वास है
फूँक फूँक कर पग धरता जो
ऐसा समझ ना लेना अग्रज
सिर पर पहन केसरिया बाना
हूँ बन्दा बैरागी का वंशज
केवल गीत नहीं बेचे हैं मैंने
भावों को नहीं हर दम बोला
कर्तव्य निष्ठ और परायणता से
संकल्पों को मन में तौला
मत जग की बात करो मुझ से
मैं तो बस इतना जानू
कर्म मंच है यह जग जीवन
कर्म योग को मैं मानू
लिखे स्वाप्न जो मनस पटल पर
अभिलाषा के स्याही कलम से
लक्ष्य शिला पर रहे गढ़े हैं
क्या तुम ने मेरे स्वप्पन पढ़े है ?
मेरी बातों का भोला पन
भले साहस का प्रमाण नहीं है
मेरी शक्ति और क्रिया कलाप की
शायद तुम को पहचान नहीं है
रक्त दौड़ता है जो धमनी में
उसमें उबलता तेज़ स्राव है
मन में मृत हुये जो सपने
उन में अभी बची श्वास है
फूँक फूँक कर पग धरता जो
ऐसा समझ ना लेना अग्रज
सिर पर पहन केसरिया बाना
हूँ बन्दा बैरागी का वंशज
केवल गीत नहीं बेचे हैं मैंने
भावों को नहीं हर दम बोला
कर्तव्य निष्ठ और परायणता से
संकल्पों को मन में तौला
मत जग की बात करो मुझ से
मैं तो बस इतना जानू
कर्म मंच है यह जग जीवन
कर्म योग को मैं मानू
लिखे स्वाप्न जो मनस पटल पर
अभिलाषा के स्याही कलम से
लक्ष्य शिला पर रहे गढ़े हैं
क्या तुम ने मेरे स्वप्पन पढ़े है ?