कुछ अनघड कुछ वैताली से
कुछ सूखे ,कुछ हरियाली से
कुछ सच्चे कुछ महज ख्याली से
कुछ भरपूर और कुछ खाली से
ख्वाबो की जागीरों वाले
केवल मुझको यह बतला दो
ख्वाब कहाँ लिखे जाते हैं ?
सूखा पनघट ,गीला मरघट
मृत हुई आशा का जमघट
ढहते महल देखे ख्वाबो के
कुम्लाया मुरझाया अमृतघट
सत्य लेखनी से गर लिखू
सत्य कहूं तो लिखा ना जाए
सत्य्निष्ट के लेख पढूं तो
लिखे ख्वाब धूमिल पड़ जाए
हार सत्य और विजय झूठ की
झुठला जाती भागीरथ प्रण को
ख्वाब बने और टूटा करते जैसे
लहरे निगले किसी रेत के घर को
ख्वाबो की जागीरों वाले
केवल मुझको यह बतला दो
ख्वाब कहाँ लिखे जाते हैं ?