बुधवार, 31 अगस्त 2011

Chuppee

चुप्पी

समझ नहीं पाया कि क्या राज है
इस चुप्पी में भी गज़ब की आवाज़ है
भीड़ में चुप रहती है
तन्हाई में नागिन सी डसती है
चला जाता हूँ  तो पीछे से बुलाती है
पा कर सामने नज़रे चुराती है
छोड़ जाता हूँ तो तरसती है पकड़ने को
और कभी थाम जो लूं हाथ बढ़ कर के मैं उसका
झटक देती है हाथ ,और आँखे दिखाती है
चुप चुप सी हो जाए तो है उदास यह चुप्पी
शर्माए, घबराए  तो है एहसास यह चुप्पी
तरसाए ,तडपाये तो है प्यास यह चुप्पी
मुस्काये लचक जाए तो है आस यह चुप्पी
वीरानियो में गुम हुई श्मशान यह चुप्पी
साधना से मिल गई तो ज्ञान  यह चुप्पी
मनु मनीषियों की बनी जान यह चुप्पी
हार में भी जीत का सम्मान दे चुप्पी
समझ नहीं पाया कि क्या राज है
इस चुप्पी में भी गज़ब की आवाज़ है