चुप्पी
समझ नहीं पाया कि क्या राज है
इस चुप्पी में भी गज़ब की आवाज़ है
भीड़ में चुप रहती है
तन्हाई में नागिन सी डसती है
चला जाता हूँ तो पीछे से बुलाती है
पा कर सामने नज़रे चुराती है
छोड़ जाता हूँ तो तरसती है पकड़ने को
और कभी थाम जो लूं हाथ बढ़ कर के मैं उसका
झटक देती है हाथ ,और आँखे दिखाती है
चुप चुप सी हो जाए तो है उदास यह चुप्पी
शर्माए, घबराए तो है एहसास यह चुप्पी
तरसाए ,तडपाये तो है प्यास यह चुप्पी
मुस्काये लचक जाए तो है आस यह चुप्पी
वीरानियो में गुम हुई श्मशान यह चुप्पी
साधना से मिल गई तो ज्ञान यह चुप्पी
मनु मनीषियों की बनी जान यह चुप्पी
हार में भी जीत का सम्मान दे चुप्पी
समझ नहीं पाया कि क्या राज है
इस चुप्पी में भी गज़ब की आवाज़ है
समझ नहीं पाया कि क्या राज है
इस चुप्पी में भी गज़ब की आवाज़ है
भीड़ में चुप रहती है
तन्हाई में नागिन सी डसती है
चला जाता हूँ तो पीछे से बुलाती है
पा कर सामने नज़रे चुराती है
छोड़ जाता हूँ तो तरसती है पकड़ने को
और कभी थाम जो लूं हाथ बढ़ कर के मैं उसका
झटक देती है हाथ ,और आँखे दिखाती है
चुप चुप सी हो जाए तो है उदास यह चुप्पी
शर्माए, घबराए तो है एहसास यह चुप्पी
तरसाए ,तडपाये तो है प्यास यह चुप्पी
मुस्काये लचक जाए तो है आस यह चुप्पी
वीरानियो में गुम हुई श्मशान यह चुप्पी
साधना से मिल गई तो ज्ञान यह चुप्पी
मनु मनीषियों की बनी जान यह चुप्पी
हार में भी जीत का सम्मान दे चुप्पी
समझ नहीं पाया कि क्या राज है
इस चुप्पी में भी गज़ब की आवाज़ है