शनिवार, 6 अगस्त 2011

Dost ki dosti

दोस्त की दोस्ती !

जुदा हूँ दोस्तों से  पर दोस्ती से नहीं
ऐसा यह खजाना है जिसकी कीमत कोई नहीं
दम भरते है  सब यहा अपनी दोस्ती का ए दोस्त
कागज़ के जैसे फूल ,पर  खुशबू कोई नहीं
कहते थे  देंगे जान भी दोस्ती की खातिर
तैयार है जनाज़ा पर शामिल कोई नहीं
तंगदिली है वक्त की, मत पूछिए दिल की
दिल दोस्ती पे कुर्बान  ,पर वक्त कोई नहीं
करते हैं  हम सलाम इस दोस्ती को दोस्त 
कहते हज़ारों किस्से है ,हमसुखन कोई नहीं
मत पूछिए अब मायने इस दोस्ती के हमसे
यारों की भरी भीड़ है , पर अपना कोई नहीं