शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

timiron kaa Jhurmut


तिमिरों का झुरमुट 

तिमिरों के झुरमुट ने
सुनी प्रकाश की पदचाप 
उतिष्ठित हुई नवाषा 
ले सुरीला आलाप 
जगमगाए जुगनू 
फैल गया उल्लास 
तिमिरों के झुरमुट में
हुआ रौशन आभास 
कदमो की बढ़त ने 
लिया तम का हवाला 
बेअसर किया चुपचाप 
उदासी का हाला 
दर्द का विष पान 
हुआ पीयूष सा मधुरिम 
जीवन का बुझा दीप 
पुन; हो गया टिमटिम 
अब वक़्त के नगमो ने 
किया गुंजित  मधुमास 
तप्त मरुथल  की भी 
जैसे बुझ गयी प्यास 
खो देगा अस्तित्व 
तिमिरों का यह झुरमुट 
छल्कायेगा गागर 
रौशनी का पनघट