तिमिरों का झुरमुट
सुनी प्रकाश की पदचाप
उतिष्ठित हुई नवाषा
ले सुरीला आलाप
जगमगाए जुगनू
फैल गया उल्लास
तिमिरों के झुरमुट में
हुआ रौशन आभास
कदमो की बढ़त ने
लिया तम का हवाला
बेअसर किया चुपचाप
उदासी का हाला
दर्द का विष पान
हुआ पीयूष सा मधुरिम
जीवन का बुझा दीप
पुन; हो गया टिमटिम
अब वक़्त के नगमो ने
किया गुंजित मधुमास
तप्त मरुथल की भी
जैसे बुझ गयी प्यास
खो देगा अस्तित्व
तिमिरों का यह झुरमुट
छल्कायेगा गागर
रौशनी का पनघट