तज दो अब इस जड़ता को
जड़ता की दौड़ में डूबा मन , रिश्तो की भाषा भूल गया
हिंसा प्रति हिंसा की ज्वाला में जल कर अपनत्व को भूल गया
अब भाव कहाँ जो भावो की भाषा को पढना जानते थे
अब राग कहाँ जो सरगम को सुर ताल में करना जानते थे
डरते है कीट किरीट यहाँ ,कलरव का मंजन करने को
चिड़िया तोता मैना चुप हैं , उन्मुक्त श्वास एक भरने को
अब तोप टैंक बन्दूको पर , जीवन के jगीत सुनाये जाते हैं
जी लेने को मुस्का कर पल दो , सब स्वांग रचाए जाते है
निश्चल मन मिलना स्वप्पन हुआ ,रिश्तो की गर्मी दिवा स्वप्प्न
द्वेष चिगारी में जल भस्म हुआ , और प्रेम आग में ठंडा पन ,
निश्चलता ढूँढो अब रिश्तो में , बुनियादी है मानवता की
यह मेल बढ़ाती है दिल के ,और शत्रु है पाशविकता की
वक़्त हुआ अब चेतनता का , उठो करो इसका अभिनन्दन
तज कर अब इस जड़ता को , भ्रात्री भाव का करो आलिंगन
जड़ता की दौड़ में डूबा मन , रिश्तो की भाषा भूल गया
हिंसा प्रति हिंसा की ज्वाला में जल कर अपनत्व को भूल गया
अब भाव कहाँ जो भावो की भाषा को पढना जानते थे
अब राग कहाँ जो सरगम को सुर ताल में करना जानते थे
डरते है कीट किरीट यहाँ ,कलरव का मंजन करने को
चिड़िया तोता मैना चुप हैं , उन्मुक्त श्वास एक भरने को
अब तोप टैंक बन्दूको पर , जीवन के jगीत सुनाये जाते हैं
जी लेने को मुस्का कर पल दो , सब स्वांग रचाए जाते है
निश्चल मन मिलना स्वप्पन हुआ ,रिश्तो की गर्मी दिवा स्वप्प्न
द्वेष चिगारी में जल भस्म हुआ , और प्रेम आग में ठंडा पन ,
निश्चलता ढूँढो अब रिश्तो में , बुनियादी है मानवता की
यह मेल बढ़ाती है दिल के ,और शत्रु है पाशविकता की
वक़्त हुआ अब चेतनता का , उठो करो इसका अभिनन्दन
तज कर अब इस जड़ता को , भ्रात्री भाव का करो आलिंगन