खत्म करेंगे भ्रष्टाचार ( उन मित्रों के नाम जो सत्य से विचलित हो जाते है कभी कभी )
क्यों अपना मोल लगाते हो
दो जून का भोजन ही तो है
क्यों उसको जहर बनाते हो
यह देश तुम्हारा भी तो है
क्यों लेख छापते हो धुन्दले
क्यों साथ प्रिय है उनका तुम्हे
विचार जिनके केवल गंदले
सत्यार्थ करो ,पुरुषार्थ करो
न कलम पे अत्याचार करो -
लिखो लिखो और खूब लिखो
और सत्य पे भी उपकार करो
गर चल सकते तो साथ चलो
उन्मूलन करने को भ्रष्टाचार
केवल लिखने को लिखते हो
तो बंद करो तुम यह व्यापार
जौहर बहुत है लेखन में
पूछो चन्द्र वरदायी से
भाल देश का किया उनत
केवल शब्दों की परछाई से
आल्हा ऊदल के मुक्तक
शान बढाते हैं अब भी
बुंदेलों के गीतों पर
नतमस्तक हो जाते सब भी
आग्रह मेरा यह तुमसे बस
ना कलम को हल्का पड़ने दो
दो साथ सत्य ,सत्याग्रह का
ना शब्द को अपने बिकने दो
लिखो, लिखो और खूब लिखो
अन्ना, भ्रष्ट ,और भ्रष्टा चार
गर कहें कोई कि झूठ लिखो
तो हाथ जोड़ कर मानो हार
बनो उपासक सरस्वती के
साधक हो , करो प्रचार
ना झूठ कहा,ना झूठ कहेंगे
खत्म करेंगे भ्रष्टाचार