रिश्ते
यह वादे यह कसमे यह रिश्ते सुहाने
लगते हैं जैसे खिलोने पुराने
रखा सहेजे जिन्हें साल -सालो
महक सोंधी महुए सी बिखरी संभालो
साबुन की बुदबुद से उबले कभी यह
सागर की अंतस में छुपले कभी यह
मरुथल के अंधड़ में हिल ले कभी यह
पर्वत की छोटी से से मिल ले कभी यह
खिले धूप पूरब से या छाए अँधेरा
रिश्तो की काया में क्या तेरा क्या मेरा
प्राण बने रहते है युग युग कालो तक
जिन्दा गर रिश्ते है काल भी दे बसेरा