शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

कल अब ना होगा

कल अब ना होगा
कल तो कल है
कल ही रहे गा
कल- कल करके
बह जाये गा
कूल पर रह कर
पकड़ेंगे कल को
कर से फिसल  कर
फिर कल बन जाएगा
कल का ऐतबार करे क्यों
ना कल आया था
ना कल आएगा
माटी के घरोंदे है
बेपंख परिंदों के
कल के काल में
अकाल हो जाये गा
चलो जोड़े तिनका तिनका
बनाए नीड़ आज का
जीयें खुल कर पल दो
 वरना आज का पल भी
कल हो जाए गा