शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

bachpan ki yaad

बचपन की याद
२५ साल बाद वह उस शहर में  किसी शादी के उत्सव में शामिल होने के लिए वापिस आई थी जहा उसके बचपन का कुछ हिस्सा बीता था .
शादी का उत्सव अपने पूरे जोर पर था. हर एक शख्स अपनी धुन में मस्त था . वह भी अपने परिवार के साथ उत्सव का आनंद उठा रही थी कि अचानक उसे महसूस हुआ कि कही दो आँखे उसे निरंतर देख रही है.
कुछ समय बीत जाने पर सहसा किसी ने उसके सिर पर जोर से हाथ लगाया और एक ही झटके से उसकी केश राशि को छिन्न-भिन्न कर दिया और बोला : "बड़ी देर  से मेरा तेरे  बालों को खराब करने का दिल कर रहा था " और इतना कह कर वह आगे बढ गया.  यह वह शख्स थे जो उसे बराबर देख रहा था . वह भी अचानक अपनी जगह से उठी और उसके पीछे दौड़ कर उसे कालर से पकड़ लिया और उसकी कमीज की जेब से पेन निकल कर बिलकुल सफेद कमीज़ पर जल्दी से आढ़ी तिरछी लकीरें खींच दी.यह सब इतना आनन्- फानन हुआ कि किसी को भी कुछ समझने का अवसर ही नहीं मिला कि यह क्या हुआ और क्यों हुआ
लकिन वह दोनों दुनिया से बेखबर एक दूसरे को देखते और मुस्कुराते रहे.सहसा आँखों से जल धारा बह निकली. वह दोनों बचपन के दोस्त थे और आज अचानक ३५ साल बाद मिले थे . बचपन की याद आज भी दोनों के जहन में इतनी जयादा अंकित थी कि दोनों उसे याद कर के आत्म विभोर हो रहे थे.
सच बचपन बड़ा ही सहज और सुंदर होता है.भोली यादे कभी कभी इतनी मानस पटल पर ऐसे अंकित हो जाती कि हम उसे हमेशा याद नहीं रखते लकिन जब भी वोह व्यक्ति सामने आ जाता है तो उससे जुडी सारी यादें  ज्वलंत हो जाती है.