रविवार, 3 अक्तूबर 2010

viraasat

विरासत
क्या दोगे बच्चों को  विरासत में
पूछा किसी ने एक दिन

गंभीर सोच में डूबा मन था
जीवन भर जो भाग दौड़ कर
संचित किया जो इतना धन
दे जाऊंगा इन बच्चों को
निश्चिन्त बनेगा इनका जीवन

संचित धन तो चल माया है
पीढ़ी-दर-पीढ़ी ना साथ चले
सु-संस्कारों की झोली भरो
जो जीवन भर तो साथ रहे

धन क्या खुशियाँ दे पायेगा
धन क्या भूख मिटा पायेगा
धन क्या समझेगा मानवता
धन क्या धर्म सिखा पायेगा

जो जीवन सभ्य सुसंस्कृत करदे
ऐसे भरदो तुम संस्कार
अमर रहेगा नाम तुम्हारा
मानवता पर  भी होगा उपकार

नन्ही बूंदे अच्छी बातों की
देते हैं जो जीवन पर्यंत
बन जाती है अथाह जल राशि
जिसका कभी ना होता  अंत