विरासत
क्या दोगे बच्चों को विरासत में
पूछा किसी ने एक दिन
गंभीर सोच में डूबा मन था
जीवन भर जो भाग दौड़ कर
संचित किया जो इतना धन
दे जाऊंगा इन बच्चों को
निश्चिन्त बनेगा इनका जीवन
संचित धन तो चल माया है
पीढ़ी-दर-पीढ़ी ना साथ चले
सु-संस्कारों की झोली भरो
जो जीवन भर तो साथ रहे
धन क्या खुशियाँ दे पायेगा
धन क्या भूख मिटा पायेगा
धन क्या समझेगा मानवता
धन क्या धर्म सिखा पायेगा
जो जीवन सभ्य सुसंस्कृत करदे
ऐसे भरदो तुम संस्कार
अमर रहेगा नाम तुम्हारा
मानवता पर भी होगा उपकार
नन्ही बूंदे अच्छी बातों की
देते हैं जो जीवन पर्यंत
बन जाती है अथाह जल राशि
जिसका कभी ना होता अंत