तुम से अच्छी तुम्हारी याद
जब भी आती याद तुम्हारी
गहरा जाती अधरों पर मुस्कान
शीतल करती मनस तपन को
मिट जाती सारी थकान
शाम ढले सूरज की लाली
लगती उषा की अरुणिम भोर
रजनी के तम की चादर काली
याद की टिम-टिम में ढूंढे छोर
तुमसे अच्छी याद तुम्हारी
ना लड़े ना रूठे ना बिगड़े कभी
तेज हवा में खुशबू जैसी
हर लम्हे को जिन्दा रखती रही