शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

Shiv - Ganga

शिव-गंगा

अखबार में छपी खबर
हरिद्वार में गंगा  बीच धार
खड़ी थी जो शिव की मूर्ति विशाल
वह ना झेल पायी गंगा का बहाव
और बह गयी कोटि मील पार
सत्य है कलियुग में -
गंगा का आवेग
शिव भी रोक नहीं पाते हैं
जाह्नवी को बांधने में
स्वयं को असमर्थ पातें है

शिव एक शक्ति है
ध्योतक है सत्य का
और सुन्दरता की आसक्ति है
जब सत्यम, शिवम् सुंदरम का
ना हो अनुपातित मिश्रण
तब शिव स्वरुप परिकल्पना का
हो जाता स्वत हनन
और दूसरी ओर यूं कहें-
गंगा परिचायक है
शक्ति स्वरुप का
करती संरचनाएं
कोटि जन मानस का
उच्च्श्रीन्ख्लता धारा की जब
सीमा लांघ जाती है
कोई भी मर्यादा उसे
बाँध नहीं पाती है

शिव और शक्ति ही
इस जग के हैं पराभास
संचालित समस्त , सौर- मंडल
कराये जीवन का एहसास