मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

tum choonki apne ho

तुम चूंकि अपने हो

तुम चूंकि अपने हो
भोर की झपकी के सुनहले से सपने हो
इसलिए कहते हैं
द्वार मन आँगन के
प्रेम की सांकल है
इसे तोड़  यूं गिराओ मत
रिश्ते यह अनजाने है
कोई नाम दे बुलाओ मत
बंधन कच्चे धागे के
इन्हें और यूं उलझाओ मत
जीवन के कोरे पन्नो पर
अंकित जो तेरे नाम हुए
 इन्हें इस तरह  मिटवायो मत