कहीं तो कोई ताकत है
जो हमसे काम करवाती है
मुस्कुराते हुए विषमता में जीना सिखलाती है
तेज़ हवाओं के थपेड़ों को सह कर भी
एक नन्हे से दिए की तरह टिमटिमाती है
करती है सामना एक शक्तिशाली तूफ़ान का
होंसले की बुलन्दियो को छू कर आती है
थकती है रूकती है लेकिन दूर देख मंजिल
फिर रुके कदम उठा कर आगे बढती है
आखिर कही तो कोई ताकत है................