गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

Bargad Ka ped

बरगद का पेड़
गाँव के बाहर बरगद का पेड़
सर्दी गर्मी ,धूप और छाया
सदियों से वह सहता आया
बदलते हर मौसम की थपेड

हरा भरा वह वृक्ष सघन
गोद में जिसके बीता बचपन
संग में जिसके हुआ बड़ा
वह आज भी वहीं  अडिग खड़ा

पल- पल करके बरसो बीते
घूमा जग भर रीते-रीते
प्रतिकूल स्तिथि से जब भी घबराया
बूढ़े बरगद ने साहस बंधाया

गिर कर चड़ना और चढ़ कर गिरना
जीवन की है एक  एक कला
अंतिम चरण मंजिल पर धरना
जीवन सार है यही भला