मुझे तुम याद करना
जब भी मुश्किल में तुम आओ
मुझे तुम याद करना
स्थिति जब भी प्रतिकूल पाओ
मुझे तुम याद करना
बन कर हल हर प्रश्न का
बन कर आऊँ गा मैं
बन कर ढाल हर मुसीबत के
समक्ष खड़ा हो जाऊंगा मैं
तुम बन कर रहो 'नीरज'
इस जीवन के तरन ताल में
भंवर उठे कभी जब भी
तो बस जान लो इतना
झेलने को तूफ़ान
चट्टान बन जाऊं गा मैं
यह मत सोचो कि रिश्ता
मेरा तुम से चिर पुराना है
रहे है अजनबी ता उम्र
नहीं कोई फ़साना है
एक तार स्नेह का
मुझ को तुम से जोड़ता है
एक दीप तम का
जो हर दिशा को मोड़ता है
इसलिए बस बार इक
मैं बोलता हूँ
तुम तक पहुंची हर बला
को तोलता हूँ
और फिर कहता यही हूँ कि
डगर हो अगर अनजान तो
मुझे तुम याद करना
लगे जब कठिन पंथ और काज
मुझे तुम याद करना