रविवार, 19 दिसंबर 2010

mujhe tum yaad karna

मुझे तुम याद करना

जब भी मुश्किल में तुम आओ 
मुझे तुम याद करना
स्थिति जब भी  प्रतिकूल पाओ
मुझे तुम याद करना
बन कर हल  हर प्रश्न का
बन कर  आऊँ गा मैं
बन कर ढाल हर मुसीबत के
समक्ष खड़ा  हो जाऊंगा मैं
तुम बन कर रहो 'नीरज'
इस जीवन के तरन ताल में
भंवर उठे कभी  जब  भी
तो बस जान लो इतना
झेलने को तूफ़ान
चट्टान बन जाऊं गा मैं
यह मत सोचो कि रिश्ता
 मेरा तुम से   चिर पुराना है
रहे है अजनबी ता उम्र
नहीं कोई फ़साना है
एक तार स्नेह का
मुझ को तुम से जोड़ता है
एक दीप तम का
जो हर दिशा को मोड़ता है
इसलिए बस बार इक
मैं बोलता हूँ
तुम तक पहुंची हर बला
को तोलता हूँ
और फिर कहता यही हूँ कि
 डगर हो अगर अनजान तो
मुझे तुम याद करना
लगे जब कठिन पंथ और काज
मुझे तुम याद करना