Srijan
रविवार, 26 दिसंबर 2010
kitaaben
किताबें
सब से अच्छा दोस्त है किताबें
न कुछ मांगती है
ना कुछ शिकायत करती हैं
अपने चाहने वालो को हमेशा देती है
मुंह फेर लो रूठती नहीं
पास चले जायो तो दुत्कारती नहीं
अज्ञानी का उपहास नहीं उड़ाती
बस हर दम अपने सब कुछ न्योछावर करने को उद्यत
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